सत्य और अहिंसा के पुजारी बापू
जग में हमारे बापू और गांधी नाम है बड़ा ही प्यारा
सादगी पूर्ण जीवन का कर्मक्षेत्र था बड़ा ही न्यारा।
आज ही के दिन दो अक्टूबर को हुए थे अवतरित
पिता के सु-नाम से वे हुए थे मोहनदास नामधरित।
काले-गोरे का भेद मिटाने का लिया अनोखा संकल्प
आजादी के मतवाले इन्होंने इसे चुना अपना विकल्प।
“करो और मरो” का दिया था आजादी का प्रमुख नारा
करोड़ों भारतवासी के थे मोहन दास “आंखों का तारा”।
अहिंसा के पुजारी और चले सदा सत्यकर्म के पथ पर
कभी न रुके और कभी न झुके चलते रहे कर्म रथ पर।
“सविनय अवज्ञा आंदोलन” से अंग्रेजी सत्ता की नींव हिलाई
“अंग्रेजों भारत छोड़ो” नारा से तब देश को आजादी दिलाई।
कभी थे बैरिस्टर और की थी विदेश में खूब सारी वकालतें
एक समय तो उनका कर्म का घेरा बनी रही थी अदालतें।
समय की चाल और परिधि ने उन्हें एक समय ऐसा घुमाया
रेल की घटना के बाद देश की आज़ादी का प्रण भी निभाया।
अंग्रेजियत से परेशान हो अंग्रेजी वस्त्रों की होली तक जलाई
अपने देश की पहचान खादी वस्त्रों की पहचान तब बनाई।
साहब वाली कोट-पैंट-टाई छोड़ धोती और लंगोट अपनाई
देशी चश्मे, खरांऊ और लाठी से अपनी अलग पहचान बनाई।
अनशन-पदयात्रा-वाणी से देश के लोगों की अलख जगाते रहे
सत्य और अहिंसा के पुजारी बापू हमेशा बुराई को भगाते रहे।
स्वच्छता और सफाई भी इनके जीवन से जुड़ा विषय रहा
“एक कदम स्वच्छता की ओर” मानो इनका सदैव नारा रहा।
आज भी अपने देश में स्वच्छता का नारा बना हुआ है अर्थक
महात्मा गांधी जी का हर दर्शन हमेशा से बना रहा है सार्थक।
समग्र विकास और समतामूलक समाज के रहे वे सदा रक्षक
इसीलिए भारतवासी भी बने रहे अपने देश के लिए संरक्षक।
अपनी आत्मकथा में बापू ने मानव जीवन संदेश भी दिया
उन्होंने अपने लिए नहीं सदा अपने देश के लिए ही जिया।
देश को आजादी मिली तब अंग्रेजी सत्ता वापस रवाना हुई
भारतवासी इस सत्य-अहिंसा के पुजारी का दीवाना हुई।
“बापू की पाती” आज भी दे रहा शिक्षालयों में खूब ज्ञान
“एक थे बापू हमारे” लेखनी भी मिटा रही सदा अज्ञान।
गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने उन्हें नाम दिया था “महात्मा”
मोहन दास करमचंद गांधी देश के हैं एक महान हुतात्मा।
महात्मा गांधी जी ने तीन बंदरों से सिखलाई खूब इंसानियत
बुरा मत बोलो, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो है आदमियत।
जब तक रहेगी यह दुनिया बापू आपका नाम अमर रहेगा
शत्- शत् नमन है प्यारे बापू आपका हर काम अमर रहेगा।
✍️सुरेश कुमार गौरव
मेरी स्वरचित मौलिक रचना
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