स्कूल बंद है फिर भी
हाँ आज भी
बंद है स्कूल
लेकिन हमारे सपने
अब भी कहाँ बंद है
हौसले हमारे
पुरजोर हैं
हमने दे रखी है
हवाओं को चुनौती
उनके साथ
उड़ने का इरादा है!
पता नहीं हमें
कैसे क्या होता है
कीचड़ में कैसे
कमल खिलता है
जब भी डरे
कोई कांटों से
फूल कहाँ उसे
मिलता है!
हम न डरेंगे
हम तो लड़ेंगे
तितलियों संग
हम तो उड़ेंगे
बंद है स्कूल
लेकिन हमारे सपने
अब भी कहाँ बंद हैं!
रंग है बाकी अब भी
शिक्षक हूँ
जानता हूँ
निराश होने की
अनुमति नहीं है हमें
जो भी हो
जैसा हो
हमारे साझे सपनों की
अपनी दुनियाँ है
वही कोई
भोलू है
कोई मुनिया है
मेरे बच्चे
तुम इतने निठुर क्यों हो
मुझे छोड़ दो
अकेला
कुछ सोचने भर के लिए भी
जानता हूँ
यह कभी न करोगे तुम
शरारती हो तुम सब
सच में!
अरे नहीं
झूठे नहीं हो तुम भी
साझा वादा
तो किया है हमने
अरे नहीं
ठीक ही समझा है तूने
साथ ही
बुने हैं ये रंग हमने
उन्हें फूलों में
भरना बाकी है
शिक्षक हूँ
जानता हूँ
अभी दूर है मंजिल सच में
कोसों चलना
बाकी है…
चलो यह दुआ
करते हैं
की कारवाँ चलता रहे
भोलू कोई
मुनिया कोई
रंग उसके
मचलता रहे
संकल्प अब भी
पहचानता हूँ
शिक्षक हूँ
यह जानता हूँ!
गिरिधर कुमार
संकुल समन्वयक
म. वि. बैरिया, अमदाबाद, कटिहार