शिक्षक
गुरुरब्रह्मा गुरुरविष्णु गुरुरदेवो महेश्वर:।
गुरुरसाक्षात परमब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
शिक्षक मानो जैसे कोई शिल्पकार
करता है हम में गुणों की तलाश
फिर तरासता है बड़े ही शिद्दत से और देता है पत्थर को आकार
फिर बना देता है सबसे खास
कोई कच्ची मिट्टी को तपा कर
मिटा देता है सभी विकार
भाग्य विधाता कहूँ उन्हें
या भाग्य रचयिता
ज्ञान का अविरल स्रोत
जिसमें हो बहता
उसे नहीं चाहिए वाहवाही
जो नि:स्वार्थ पथ दिखलाता है
किसी को बनाने में स्वयं मिट जाता है
शिक्षक ऐसा ज्ञानपुंज भंडार है
जिस पर हर निष्ठावान का अधिकार है
शिक्षक अज्ञान रूपी तम हर लेता है
फिर वहां कैसे अज्ञानता का अंधकार हो
वह शिक्षक धरती पर देव स्वरूप है
ब्रह्मा विष्णु महेश के सहज रूप हैं
जो सहेजता है हम में
एक नेक और काबिल इंसान को।
बीनू मिश्रा
भागलपुर बिहार