शिक्षक का अर्थ-विवेक कुमार

Vivek kumar

शिक्षक समाज के होते दर्पण,
शिक्षा का वो करते अर्पण,
बच्चों को देते हैं ज्ञान,
शिखर पर पहुंँचना उनका काम,
कच्ची मिट्टी से घड़ा बनाते,
तपाकर उसे मूल्यवान बनाते,
शिल्पकार कहूंँ या कहूंँ रचनाकार,
बच्चों के वो है सृजनकार ,
मिट्टी को सोना बना दे,
भटके को राह दिखा दे,
क्षमा का जिनके अंदर भाव,
बच्चों के लिए लेते तनाव,
न धन का लोभ न अपनी फिकर,
बच्चों के संग रहते तत्पर,
शैक्षिक संग अनुशासन का पाठ पढ़ाते,
अपनेपन का सदा भाव जताते,
मुस्कुराकर वर्ग कक्ष में आते,
बच्चों का वो ज्ञान बढ़ाते,
संग सभी के घुलमिल जाते,
मानवता का पाठ पढ़ाते,
क्षमादान से बढ़ता मान,
कमजोरी दूर करना उनकी शान,
यही है उनकी पहचान,
तभी तो जग कहता महान,
ब्रह्म विष्णु महेश्वर जिनका नाम,
सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने दिलाई पहचान,
बताया जग को क्यूंँ हैं बच्चों के भगवान।

विवेक कुमार
भोला सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय पुरुषोत्तमपुर
कुढ़नी, मुजफ्फरपुर

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