सुप्रभात
स्वागत है
जो आज भी
निकला है सूरज
बादलों के बाजू में
लेकिन चमकता हुआ
सुरीला सा
कि जैसे
धूल मिट्टी से
लदा फ़दा
कोई बच्चा
स्कूल आ गया है
हँसता हुआ
मचलता सा!
स्वागत है
आज भी है
उमंग का सौंदर्य
हमारे तुम्हारे
चेहरे पर
विश्वास बचा है
जीवन के तईं,
स्वागत है
जो आज भी
बह रही है
पुरवाई
आशाओं को
दुलारती है आज भी
कहती हो
जैसे
कि जीवन है यही
नहीं चूकता जो कभी
बच्चे की जिद
की तरह
गिरता मचलता
रोता हँसता…
स्वागत है
जो आज भी
निकला है सूरज!
गिरिधर कुमार, संकुल समन्वयक, संकुल संसाधन केंद्र, म वि बैरिया, अमदाबाद, कटिहार
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