स्वच्छता-शुकदेव पाठक

स्वच्छता

आदर्श जीवन वह होता
मानव जिसमें व्यवस्थित रहता।
जीवन सही आदतों का मेल
वरना, हम जीवन में फेल।
बच्चों, सफाई की आदत डालो
इसमें अपने आप को तुम ढालो।
होगा बापू का सपना साकार
बड़ा होगा जीवन का आकार।
न जाओ कभी तुम खुले में शौच
फैलती गंदगी देती बीमारियां नोंच।
रखो अपने आसपास सफाई
इसीलिए सरकार है जागरूकता फैलाई।
उचित स्थान पर फेको कूड़ा
हो चाहे बच्चे, जवान या बूढ़ा।
सबके लिए यही है सीख
नहीं होगी किसी को तकलीफ।
वातावरण को रखना स्वस्थ
है हम सब का कर्तव्य।
स्वच्छता है ईश्वर का दूजा रूप
जो अपनाए वही है भूप।

✍️शुकदेव पाठक
मध्य विद्यालय कर्मा बसंतपुर
प्रखंड– कुटुंबा, औरंगाबाद

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