स्वर्ग सा सुन्दर धरा बनाएँ-देव कांत मिश्र दिव्य

स्वर्ग सा सुन्दर धरा बनाएँ

धरा हमारी अति पुनीत है
विचार मंगल औ सुनीत है।
पावन मन को खूब सजाएँ
स्वर्ग सा सुभग इसे बनाएंँ।।
मिलकर ही विचार हम बोएँ
वैर भाव को दिल से धोएँ।
जन-जन में विश्वास जगाएँ
सद्कर्मों की फसल उगाएँ।।
पेड़ पौधों को खूब लगाएँ
हरियाली नित धरा पर लाएँ।
प्रदूषण को दूर भगाएँ
मनदूषण को दूर हटाएँ।।
दया धर्म को हम अपनाएँ
दु:खियों को भोजन कराएँ।
दीनों की आँखें चमकाएँ
उजियारे की आस जगाएँ।।
कथनी न करनी को लाएँ
मिलकर आगे कदम बढ़ाएँ।
अमिट प्यार ही नित बरसाएँ
स्वर्ग सा सुभग धरा बनाएँ।।
जड़ से हिंसा भाव मिटाएँ
प्रेम अहिंसा ही जगाएंँ।
पशु पक्षियों से नेह बढ़ाएँ
स्वर्ग सा सुंदर भू बनाएँ।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

भागलपुर, बिहार

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