स्वतंत्रता का पुष्प-दिलीप कुमार गुप्त

Dilip gupta

Dilip Kumar Gupta

स्वतंत्रता का पुष्प 

स्वतंत्र राष्ट्र, स्वतंत्र निर्णय
आज यहाँ संस्कृति निर्भय
चाकर स्वामी भेद मिटाया
सबको सब का पूरक बनाया
शोषण के छंट गये वारिद
ज्ञानी ध्यानी हुए कवि कोविद
राष्ट्र धर्म की सर्वोच्च स्वीकृति
वीरों की हो सतत स्मृति
हे भारत के धवल नायक
स्वतंत्रता पुष्प तुम्हें समर्पित।

परतंत्रता के गहन तिमिर
हर लिए तुम बन प्रखर रवि
पीकर गुलामी का कालकूट
मिटा गये दासता दाग अनिष्ट
नमन शुभ श्रेष्ठ जननी को
जिन जाया वीर सपूतों को
नमन अनवरत तेरी वीरता को
श्रद्धांजलि त्याग की अमरता को
हे भारत के उज्ज्वल नायक
स्वतंत्रता पुष्प तुम्हें समर्पित।

चतुर्दिक स्वाधीनता सुगंधि महक रही
उल्लास उमंग चहुं ओर चहक रही
प्रगति गरिमा नव आशा हिय में
विश्वास शांति रश्मि झलक रही
पुरस्कार अगणित बलिदानों का
शौर्य पराक्रम भारती के दिव्य संतानों का
बोया स्वाधीनता का नन्हा बीज
बांट रहा वही शीतल छाया पुनीत
हे भारत के अतुल नायक
स्वतंत्रता पुष्प तुम्हें समर्पित।

दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी
अररिया

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