नन्ही चिड़िया उठ चिड़िया अब आंखे खोल तुझे अम्बर छूने जाना है, अपने नन्हे-नन्हे कदमों पर अपना भार उठाना है। हरे-भरे खेतों से तुझको दाना पाने जाना है, सुदूर झरने…
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विद्यालय बस एक भवन रह गया-अमृता सिंह
विद्यालय बस एक भवन रह गया सुने विद्यालय की आंगन में निगाहें ढूंढती रहीं फ़टे कागज के टुकड़े वो उड़ते जहाज, वो कॉपी के पन्ने वो कागज की नाव, मेरे…
माँ कहाँ-अमृता सिंह
माँ कहाँ है राहें वही, वही पगडंडियाँ। जिनमे रहते थे तेरे पैरों के निशां उन निशानों में मैं तुझको ढूंढा करूँ मेरी माँ तू कहाँ है? कहाँ है? कहाँ? है…
बस महफ़ूज रहना-अमृता सिंह
बस महफ़ूज रहना हम सारी चढ़ाइयाँ चढ़ लेंगे हम सारी लड़ाइयां लड़ लेंगे हम लिख लेंगे फिर से इतिहास मेरे बच्चों बस महफ़ूज रहना। कोई चुनौती कठिन नहीं हम राह…