अविरत बढ़े सदा ही जीवन में अविरत बढ़े सदा ही जीवन में, क्या पाया आज विचार करें। अंतस के दिव्य प्रकाशपुंज से, आलोकित जग-संसार करें। जो शुष्कता फैली उर अंतस…
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स्वरचित कविता का प्रकाशन
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