आदर्श गुरु-एकलव्य

आदर्श गुरु आदर्श रथ जब गुरु पा जाता जग आदर्श तभी पा जाता अपने ही कर्मों के मूल्य पर कर्म जगत है बतला देता।। भेद यहाँ नहीं पाए कोई अर्जुन…