करवा चौथ – विधाता छंद सुहागन आज करती है जहाँ उपवास भर दिन का।सुधाकर को निहारी है सुहानी रात जीवन का।।अमर सिंदूर हो मेरा नहीं हो कष्ट भी थोड़ा।यही शुभ…
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करवा चौथ – रामपाल प्रसाद सिंह अनजान
विधाता छंदाधारित मुक्तककरवा चौथ कहीं संगम कहीं तीरथ,धरा पर पुण्य बहते हैं, सजी हैं नारियाॅं भूपर,कहेंगे व्यर्थ कहते हैं। हजारों साल जिंदा हो,चमकता माॅंग का सिंदूर.., जहाॅं पतिदेव की सेवा,वहाॅं…