गणेश- कहमुकरी – राम किशोर पाठक

गणेश- कहमुकरी पेट बड़ा हर-पल दिखलाता। लड्डू झट-पट चट कर जाता।। मोहित करता सुनहरा केश। क्या सखि? साजन! न सखी! गणेश।।०१।। छोटे-छोटे काले नैना। हर लेते मेरे चित चैना।। देता…