गुरु गुरु तुम्हारे नाम की, महिमा क्या समझाय। समझने की समझ भी, गुरु तुम्हीं से आय।। गुरु बिन ज्ञान मिले नहीं, प्रकट न होवे भाव। गुरु ही अक्षर ज्ञान दे,…
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गुरु-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
गुरु मात पिता धन मानिये, दियो शरीर बनाय। ता पर माँ ममतामयी, प्रथम गुरु बन धाय।। खेल कूद कर बढ़ रहे, अब देखो कुलराई। शिक्षा शिक्षक के बिना, खोज रहे…
गुरु-शिक्षा का दान-अर्चना गुप्ता
गुरू आखर-आखर थी मैं बिखरी आपने ही मुझे शब्द बनाया मैं तो थी मृण की एक कण गढ़ आपने सुंदर घट बनाया बन प्रकाशपुंज का आधार गुरु पथ आलोकित सहज…
दोहे-निधि चौधरी
दोहे गुरु ब्रह्मा अवतार है, गुरु ही विष्णु रूप। गुरु सागर है ज्ञान का, गुरु पिता स्वरूप।। बन अज्ञानी फिरे जगत, लाख रहे अनजान। शीश चरण में राखिए, हो जा…