छंदों को भी गढ़ना चाहूंँ – राम किशोर पाठक

छंदों को भी गढ़ना चाहूँ- गीत गीत गजल मैं पढ़ना चाहूँ।छंदों को भी गढ़ना चाहूँ।। पर मुझको कुछ ज्ञान नहीं है।शब्द शक्ति का भान नहीं है।।कविता पथ पर बढ़ना चाहूँ।छंदों…