हिंदी मैं और मेरी हिंदी दर्द को कहाँ बिन हिंदी कह सकूँगी !! इसकी न हुई तो तूम्हारी क्या हो सकूँगी ! हिन्दी जैसे अधिकार है मेरा, मेरे हृदय में…
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प्यारी मॉंं-ज्योति कुमारी
प्यारी मॉं माँ, मेरी माँ, प्यारी माँ कुछ कहना नहीं मुझे तुम्हारे लिए, इतने शब्द कहाँ से लाऊँ मैं, ईश्वर को देखा नहीं पर तू कहती है तो पत्थर को…
हमें उड़ने दो-ज्योति कुमारी
हमें उड़ने दो हमारे पंख हौसलों से हैं, हमारी उड़ान क्षितिज तक, जहां ज़मीं और आसमां मिलते हैं। हम बच्चे बिहार के हमें नया इतिहास लिखने दो ना। नवाचार से…
संज्ञा को जाने-ज्योति कुमारी
संज्ञा को जाने सभी के नाम को राधा मोहन या श्याम को कोई जगह पटना, दिल्ली या बाँका, टेबूल, कुर्सी, दूध दही या टाका (रूपया) हँसाई, रुलाई, लड़कपन और बचपन…
हिन्दी-ज्योति कुमारी
हिन्दी हर विषय में कमजोर, हिन्दी बस मेरी है, विश्वास जितना स्वयं पर उतना ही हिन्दी पर, नहीं मैं विद्वान नहीं, ह्रस्व और दीर्धीकार गलत हो जाए शायद, साहित्य की…
शब्द-ज्योति कुमारी
शब्द शब्द भेदी बाण जब चला होगा !! कोई हुआ है घायल, क्या उसे पता चला होगा? ये कमान से निकला तीर नहीं, ये तो शब्दों से चला, दिल पर…