गुरुवंदन स्वीकार करें वंदन मेरे गुरूजन शब्द नहीं कि मैं लिख पाऊँ करुँ हृदय से मैं अभिनंदन। जग में महिमा है गुरूवर की कानन बीच जैसे हो चंदन स्वीकार करें…
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कोसी-डाॅ अनुपमा श्रीवास्तव
कोसी तोड़ के सारी सीमाओं को छोड़ के पिछे बाधाओं को, पीहर आई हैं सब मिलने ये “सातो” नदियाँ हैं बहनें। आया लेने भाई “सावन” स्नेह-सूत बंधवाने “पावन”, इठलाती बलखाती…
आत्मनिर्भर-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव
आत्मनिर्भर बिना सहारे जीवन “पथ पर “ चलता है जो अपने सामर्थ्य पर जिसे भरोसा अपने कर्म पर वही तो है जग में “आत्मनिर्भर “। नन्ही सी “चिड़िया” को देखो…
भारत माता-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव
भारत माता भारत माँ कहते हैं मुझको अमर वीर मेरे देश के लाल, फर्ज निभाते प्राण गँवाकर ऊँचा रखते मेरा भाल। शेरों की माँ हूँ मुझको कंधों पर लिये चलते…