अधिकार पंख दिये हैं मुझको “रब” ने “अधिकार” मुझे है उड़ने का, नहीं गगन में सीमा…
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मिट्टी की महक – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा
मिट्टी की महक “महक” आती थी मिट्टी की गाँव के “खलिहानों” से, मिलती कहाँ…
मातृभूमि है मेरा बिहार-डॉ अनुपमा श्रीवास्तव
मातृभूमि है मेरा बिहार जन्म लिया तेरी धरती पर है तेरा मुझपर उपकार शीश झुकाऊ छूकर मिट्टी नमन करुँ मैं तेरा बिहार। जन्म दिवस है आया तेरा तुझसे ही मेरी…
मानव धर्म-डॉ अनुपमा श्रीवास्तव
मानव धर्म कर सको तो कर दो बढ़कर है अगर तुझमें वो “दम” , पोछ दो “आंसू” किसी के हो ना उसकी आँखे “नम”। थाम लो “अपनों” की बाहें बांट…
टी.ओ.बी तेरा आभार-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
टी.ओ.बी तेरा आभार बस सीखा था हमने चलना न थी मंजिल न आधार , “राह” दिखाया तुमने हमको टी.ओ.बी तेरा आभार। एक टुकड़ा कोरा कागज का एक लेखनी थी मेरे…
यादों के आँगन में-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
यादों के आँगन में यादों के “आँगन” में कुछ देर बैठकर, बीती कुछ बातों को “पलकों” में समेटकर। याद किया कैसे तुम “साल” बन कर आए थे, मैंने भी खुशियों…