उम्मीदों की उड़ान धैर्य रख तू “मन” के पंछी घनेरा धुँध छट जायेगा, उम्मीदों की झोली लेकर फिर नया “सवेरा” आयेगा। कसकर पकड़ ले तू परिंदे उम्मीदों के “शाख” को,…
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तू मानव है-डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
तू मानव है जब-जब मानव को अभिमान हुआ सर्व-श्रेष्ठ होने का भान हुआ, कुदरत ने तोड़ा दंभ तेरा तुझे तुच्छ अहं का ज्ञान हुआ। तूने “वसुधा” की हरियाली को बनकर…
हाँ मैं मजदूर हूँ-डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
हाँ मैं मजदूर हूँ जिम्मेदारी के “जुऐ” को कांधे पर लेकर ढ़ोता हूँ, सम्मान की रोटी की खातिर मैं मजदूर बन जाता हूँ। मेहनत के बल पर ही तो मैं…
चिड़ियाँ का घर-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
चिड़ियाँ का घर नन्हे-नन्हे “तिनके” लेकर जाती कहां हो बोलो उड़कर, सुबह से शाम तक चुनती हो तुम चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर। तेरे तिनके की “गठरी”को जहां कहोगी मैं रख…
स्कूल का बस्ता-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
स्कूल का बस्ता गुमसुम पड़ा है मेरा बस्ता नित देखे स्कूल का रस्ता प्रभु जी बताओ मेरी भूल कब जाऊँगा मैं स्कूल? कलम किताब बस्ते से दूर क्या समझाऊँ मैं…
ऋतुराज की आली-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
ऋतुराज की आली अमुआ की डाली पर बैठी मैना से यह कोयल बोली, सात रंग आँखों में लेकर लो आ गई ऋतुराज की आली। देख उसे ले पवन हिलोरे “कानन”…
सरस्वती वंदना-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
सरस्वती वंदना छुप गयी हो तुम कहाँ बताओ माँ तुम “शारदा,” बसंती चुनर ओढ़कर तुम धरा पर आओ माँ। मिट रहा है ज्ञान-ध्यान घट रही है “साधना”, मिट रहा है…