निज संस्कृति आँवला बरगद पीपल की पूजा पथिक पाता सघन शीतल छाया द्वारे-द्वारे निबोली संग पवन निरोगी काया मन थीर प्रसन्न निज संस्कृति को शत-शत नमन। घृत कुमारी अश्वगंधा गिलोय…
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हे प्रभु आओ बुद्ध रुप में-दिलीप कुमार गुप्ता
हे प्रभु आओ बुद्ध रुप में रुग्ण विश्व व्याधि प्रबल है संकट में अवनि विह्वल है मनुजता को त्राण दिलाने घटाटोप संताप मिटाने हे प्रभु! आओ बुद्ध रुप में। चतुर्दिक…
अनुराग समर्पित-दिलीप कुमार गुप्त
अनुराग समर्पित धवल अन्तःकरण हो जागृत उपहास किंचित न हो प्रस्फुटित मिथ्या आचार सदा विसर्जित मन कर्म वाणी हो सदा सुसज्जित। उर मैत्री भाव हो स्पंदित अश्रु प्रेम नैनन हो…
विद्या-दिलीप कुमार गुप्त
विद्या विद्या अनुपम अद्भुत सम्मान अन्तस जागृत प्रज्ञा अनुतान संकीर्ण तिमिर होता विदीर्ण प्रखर तेजपुंज पाता यशगान । विद्या लौकिक जीवन का आधार संपोषित प्रस्फुटित सद्व्यवहार आध्यात्मिक उन्नयन का नव…
याचना-दिलीप कुमार गुप्ता
याचना प्रवृत्ति आरोह सदज्ञान की निवृत्ति दुःख द्वन्द्व दुर्भाव की अन्तस तिमिर का हो उन्मूलन संस्कृति सुवासित सद्भाव की। कामना यही तुमसे सद्गुरु भाव कृतज्ञता का हो ज्ञापन अपकार कभी…
नौनिहाल-दिलीप कुमार गुप्ता
नौनिहाल बचपन जीवन का आधार परमपिता का अनुपम उपहार सतरंगी आभा नभ का निर्मल मन हो जैसे सबका । पल में रोना पल में विहँसना कटुता बीच मिश्री का घुलना…
इक पल झाँके अंतर्मन-दिलीप कुमार गुप्ता
इक पल झाँकें अन्तर्मन जीवन के रंगमंच पर क्या पाने निकला था क्या लेकर लौट आया कैसे संजोये थे सपने क्या बनकर रह गए बाधाएँ स्वतः आयीं या दिया मौन…
प्रेरणा दीप-दिलीप कुमार गुप्ता
प्रेरणा दीप मन कर्म वचन की मलिनता से बाहर सद्भाव सत्कर्म सदचिंतन नव प्रभात बिखराना है प्रेरणा दीप बन जलना है । पुण्य का कुछ पता नही अगणित पाप किया…
मेरे देश की धरती-दिलीप कुमार गुप्ता
मेरे देश की धरती सर्वधर्म समभाव लिए विश्व बंधुत्व संदेश सुनाती द्वेष दंभ दुर्भाव मुक्त धन्य पुरातन वैदिक संस्कृति । जननी यहाँ वीरों को जनती बहन तिलक भाल सजाती कर…
उद्देश्य-दिलीप कुमार गुप्ता
उद्देश्य अनगढ को सुगढ बनाना शूलों मे सुरभि महकाना भटके को सम्यक राह सुझाना गहन तिमिर में रवि उगाना प्रतिपल हो उद्देश्य हमारा । बुझे मन मष्तिष्क विश्वास जगाना थके…