शुभता मन में राखिए, लेकर प्रभु का नाम। मात-पिता के ही चरण, बसते चारों धाम।। शीश झुकाऍं ईश को, मन-दुविधा से हीन। धीरज से कारज करें, बदलें जीवन दीन।।…
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दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
मन में सोच-विचार कर, करिए नव संकल्प। जीवन में सद्भावना, कभी नहीं हो अल्प। दान-पुण्य की भावना, हो जीवन का मर्म। कष्ट मिटाकर दीन का, करिए सुंदर कर्म।। भरें…
दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
रखें शिष्य के शीश पर, गुरु आशिष का हाथ। तिमिर सर्वदा दूर हों, पथ आलोकित साथ।। विद्यालय है ज्ञान का, परम सुघर भंडार। छात्र सदा पाते यहाँ, एक नया संसार।।…
दोहावली – रामपाल सिंह ‘अनजान’
प्रात काल वो सूर्य को, करती प्रथम प्रणाम। सूर्य देव आशीष दें, रहे सुहाग ललाम।। प्रातकाल से है लगी, सजा रही है थाल। अमर सुहाग सदा रहे,सुना रही है नाल।।…
दोहावली- रामकिशोर पाठक
अपने मन की कीजिए, रखकर मन में चाव। औरों की वो मानिए, जो हो सही सुझाव।। सत्य वचन हीं बोलिए, रखकर मधुर जुबान। वैसा सत्य न बोलिए, जो करे…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दो अक्टूबर जन्म है, दो पुरुषों के नाम। गाँधी प्यारा एक है, दूजा लाल ललाम।। गाँधी जी का जन्म है, प्रांत नाम गुजरात। भाव एकता सूत्र का, दिया नवल…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दिव्य पर्व जन्माष्टमी, प्रकट हुए घनश्याम। गले सुशोभित हार में, लगते हैं अभिराम।। भाद्र पक्ष की अष्टमी, मथुरा कारावास। कृष्ण लिए अवतार जब, छाया सौम्य उजास।। मथुरा कारागार जब, कृष्ण…
दोहावली – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
देवाधिदेव महादेव दया सिंधु शिव जी सदा,करते हैं कल्याण। जो भी आते हैं शरण,पाते वो वरदान।। बाबा भोलेनाथ को, पूजे जो नर-नार। पाकर नित आशीष को,करते निज भव पार।। सावन…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
रिश्ते डोरी प्रेम की, आए मन को रास। नेह सत्य सद्भावना, लाती नवल उजास।। रिश्तों को शुचिमय सघन, रखें बनाए आप। अपने निश्छल नेह की, छोड़ें गहरी छाप।। अपनेपन के…
दोहावली- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
पावन शुचिमय भाव रख, रचें नवल संसार। दे सबको नव वर्ष शुभ, खुशियों का उपहार।। द्वेष पुराना भूलकर, करिए नेक विचार। स्वागत हो नव वर्ष का, लेकर खुशी अपार।। खुशियाँ…