नश्वर दुनियाँ कितनी नश्वर है प्रभु तेरी दुनियाँ फिर भी पल-पल द्वेष बढ़ आए स्वार्थपाश में बँधे हुए सब ही तो रह एक-दूजे संग सदा दंभ दिखाए कालचक्र की गति…
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