नाइट शिफ्ट की संवेदना – अवधेश कुमार

कभी आओ जो फुर्सत में,तो कुछ बातें कर लें,जो ठहर गई है ज़िंदगी,उसका भी हिसाब कर लें। शाम से सुबह तक जागती हैं ये आँखें,इंतज़ार की सलवटों में डूबी,कितने सवालों…