परम सत्ता पर विश्वास हो-दिलीप कुमार गुप्त

ko परम सत्ता पर विश्वास हो चिंता की परिधि से हो पृथक सदचिंतन का विस्तार हो मलिन कराल ताप तिमिर से धवल शशि का दीदार हो। लौकिकता के अंतहीन क्षितिज…