पुत्री दिवस- गिरिंद्र मोहन झा

आज अन्तरराष्ट्रीय पुत्री दिवस पर प्रस्तुत मेरी एक कविता:पुत्री-दिवसधन्य वह गेह है, जहँ खिलखिलाती बेटियाँ,धन्य वह गेह है, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ,धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ,सारे देवों का वास…