प्रकृति की छवि-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

प्रकृति की छवि बसाके अपनी आँखो में तेरी अदभुत छटा निहार रही मन उपवन बन पुकार उठी प्रकृति की देख शृंगार सखी। तेरे हृदय के गहरे सागर में हंसो का…