कोरोना योद्धा छोड़ के अपना घर द्वार छोड़ दिया हूँ मैं परिवार लोगो की सेवा करने को हर पल मैं तैयार हूँ ।। विधि व्यवस्था संधारण को कभी पुलिस बन…
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गंगा धारा-प्रभात रमण
गंगा धारा ये जीवन एक सरिता है गतिमान है हरपल बिता हुआ नहीं देखते बस देखते हैं कल बचपन खेल में बिता जवानी दौड़ में बिता बुढापा तो अनुभव ढेर…
मतदान-प्रभात रमण
मतदान आया समय फिर दान का स्वागत करो मतदान का । विकास का परिधान दो अपना मतदान दो । अभी चूक गए गर तुम पाँच वर्ष पछताओगे । पिछड़े रह…
इंसान-प्रभात रमण
इंसान अब मैं ही मैं हो गया है हम शब्द जाने कहाँ खो गया है । पुरखों का नाम भुला दिया अपना अभिमान चला गया । फिर भी हम…
गाँधी-प्रभात रमण
गाँधी गाँधी भारत की भावना का सार है । गाँधी सभी धर्म जाती का परिवार है । गाँधी सभी परम्पराओं का संविधान है । गाँधी से बना भारत महान है…
हर जीव में-प्रभात रमण
हर जीव में कितनी भी पूजा करो तुम मिट्टी और पाषाण का । पर मानो या न मानो हर जीव में है समाहित मूरत उस भगवान का । जिस जगत…
माँ-प्रभात रमण
माँ आँख खुली तो तुमको पाया रेंग रेंगकर खड़ा हुआ । तेरी ममता की छाया में न जाने कब बड़ा हुआ । ईश्वर का दूसरा रूप हो तुम नव प्रभात…
मातृभाषा हिंदी-प्रभात रमण
मातृभाषा हिंदी हिंदी हमारी आन बान और शान है । हिंदी ही हमारी पहचान है । हिंदी से ही हिंदुस्तान है । हिंदी ही बनाती हमको विश्व में महान है…
मैं किसान हूँ-प्रभात रमण
मैं किसान हूँ हूँ दीन, हीन, गरीब, मगर मैं सबसे बड़ा अमीर हूँ । ये जमीन मेरी है, ये आसमाँ मेरा है । बहती पवन मेरी है, सारा जहाँ मेरा…
शब्द और कवि-प्रभात रमण
शब्द और कवि कविता के शब्द नहीं वह तो उसका एक बेटा है कुछ नन्हा सा कुछ बड़ा हुआ कुछ तो बिल्कुल ही छोटा है नटखट,चपल,चालाक वह रातों को मुझे…