जय त्रिपुरारी सुन लो विनय हमारी, हे उमापति त्रिपुरारी। मैं आई शरण तुम्हारी प्रभु दूर करो अंधियारी। अँखिया मेरी है प्यासी, तेरे दर्शन की अभिलाषी। हे गिरिजापति कैलाशी, अब दर्शन…
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प्रभु-लवली वर्मा
प्रभु तुम हो, तुम्हीं हो प्रभु मेरे पालनहार। आशिष तुम्हारी पाकर, सपना किया साकार। विचलित होती थी जब, करती तेरी आराधना। तेरी छवि को देखकर पूरी होती मेरी प्रार्थना।…