प्रभु वंदना-शुकदेव पाठक

  प्रभु वंदना हे प्रभु! आप स्वयं परब्रह्म न है आपका आदि न अंत आप आवरण रहित अद्वितीय उत्पत्ति, स्थिति, रक्षा, प्रलय। आप सभी प्राणियों में स्थित ब्रह्मवेतर करते उपासना…