प्रेम से जीना सीखें-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रेम से जीना सीखें सदा प्रेम से जीना सीखें प्रेम ही जीवन सार है। अगर प्रेम से नहीं रहोगे जीवन तभी बेकार है।।  नहीं कभी बिकता है जानो यही तो…