कहर कोरोना का मानव जिसे आजमाता रहा अब तक, शायद सृष्टि ने आज मानव को आजमाया है, बेकल, बेबस, कैद अपने ही घरों में इंसान हैं, आज विज्ञान की गति-प्रगति,…
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युवा शक्ति-बीनू मिश्रा
युवा शक्ति गुमनाम सा जीवन कब, यौवन को हुआ स्वीकार, नवयौवन तो है ऋतुराज बसंत, जीवन का श्रृंगार। जब भी युवा शक्ति किया प्रदर्शन, नवयुग का निर्माण हुआ, नव यौवन…
प्रकृति का आंचल-बीनू मिश्रा
प्रकृति का आंचल प्रकृति में अपना आंचल कर दिया हम पर बलिहार, पर हमने बन स्वार्थी कर दिया आंचल को तार-तार, आओ हम सब पेड़ बचाएँ, नित नए पेड़ लगाएं,…
गुरु की महिमा-बीनू मिश्रा
गुरु की महिमा हैं, समाज के तीन स्तंभ माता, पिता और गुरू मिली हमें माता से जीवन, और करते पिता सुरक्षित जीवन, पर एक शिक्षक हमें सिखाता, जीना अपना जीवन…
मैं एक शिक्षक हूँ-बीनू मिश्रा
मैं एक शिक्षक हूँ छड़ी खूब दिए होंगे तन मन पर, नींद न मुझे, न तुम्हें उस रोज आई होगी, मन ही मन मुझको शत्रु माना होगा तुमने सोचो मेरी…