क्यों हम भूल जाते हैं क्यों हम भूल जाते हैं ? जब हम माँ के गर्भ में होते हैं मुझे बहुत सुखों की अनुभूति होती है कुछ ही दिनों में…
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रक्षाबंधन-भोला प्रसाद शर्मा
रक्षाबंधन यह अनुपम त्योहार जो आया चहु ओर खुशियाँ है छाया बहन प्यार से थाल सजाया कुमकुम का भी तिलक लगाया है भाई बहन का प्यार अनोखा है सावन के…
भारत के वीर-भोला प्रसाद शर्मा
भारत के वीर नन्हा-मुन्ना पास तो आओ, ध्वज हाथ में तुम फहराओ। स्वयं बालक हो तुम अधीर, तुम ही हो भारत के वीर। नन्हें-नन्हें हाथ जो तेरे, ठुमक-ठुमक हो लगाते…
झंडा गीत-भोला प्रसाद शर्मा
झंडा गीत झंडा ऊँचा लहराता हूँ, भारत का गीत मैं गाता हूँ। सीख ये सबको सिखाता हूँ, सबसे आगे शीश झुकाता हूँ। तीन रंग का है यह झंडा, इसकी अलग…
तिरंगा-भोला प्रसाद शर्मा
तिरंगा आन में उसकी शान में उसकी, हाँ! प्राण मुझे लुटाना है। कसम है भारत माता की सदा यूँ तिरंगा लहराना है। हो चाहे कोई कौम फ़िरंगी, हो चाहे या…
बालमन फिर झूले-भोला प्रसाद शर्मा
बालमन फिर झूले बालमन झूले विद्यालय में बालमन फिर झूले—–2 बच्चे भी आए गुरुवर भी आए, देख दूसरों को फूले न समाये। नन्हें भी आकर मन को हर्षाये, टप्पू टुनटुनियाँ…
मुझको पता नहीं-भोला प्रसाद शर्मा
मुझको पता नहीं माँ! तो माँ होती है उसमें भरी ममता की छाँव होती है मोह में पड़ी रहती है आजीवन हो शहर या गाँव में अपनापन कब चुरा लेती…
जीवन का आधार-भोला प्रसाद शर्मा
जीवन का आधार योग जीवन का है आधार गुरु इनके है अपरम्पार मस्त गठिला और मजबूत छिपा है इसमें वह वजूद इसकी क्षेम कुशल व्यावहार होता शरीर में रक्त संचार…
पिता का चरित्र-भोला प्रसाद शर्मा
पिता का चरित्र एक रिश्ता है वो प्यार का, रहकर भी साथ निभा जाते हैं। होंठो पर दिखा मुस्कान वह हरदम, दिलों पर बोझ सहन कर जाते हैं। पता ही…
पर्यावरण-भोला प्रसाद शर्मा
पर्यावरण सोच-सोचकर ये मन सोच नहीं पाता, क्यों हे! मानव पर्यावरण को छ्लाता। कहता मैं कर्म करता नित भला सबका, पर व्यावहारिक पुरुषार्थ कभी न दिखलाता। मन मसक्क्त की गलियों…