भारत के वीर-भोला प्रसाद शर्मा

भारत के वीर नन्हा-मुन्ना पास तो आओ, ध्वज हाथ में तुम फहराओ। स्वयं बालक हो तुम अधीर, तुम ही हो भारत के वीर। नन्हें-नन्हें हाथ जो तेरे, ठुमक-ठुमक हो लगाते…

बालमन फिर झूले-भोला प्रसाद शर्मा

बालमन फिर झूले बालमन झूले विद्यालय में बालमन फिर झूले—–2 बच्चे भी आए गुरुवर भी आए, देख दूसरों को फूले न समाये। नन्हें भी आकर मन को हर्षाये, टप्पू टुनटुनियाँ…

पर्यावरण-भोला प्रसाद शर्मा

पर्यावरण सोच-सोचकर ये मन सोच नहीं पाता, क्यों हे! मानव पर्यावरण को छ्लाता। कहता मैं कर्म करता नित भला सबका, पर व्यावहारिक पुरुषार्थ कभी न दिखलाता। मन मसक्क्त की गलियों…