मनहरण घनाक्षरी – मनु रमण चेतना

मनहरण घनाक्षरी प्रेमियों के होठों पर ( लता) साम्राज्ञी सुरों की लता, कहाँ गयीं नहीं पता, प्रेमियों के होठों पर, वो गुनगुनाती है । दुनिया है आज रोई, दीदी चिर…