मानव धर्म आओ मिलकर हाथ बटाएँ न हो मानवता शर्मसार कहीं, हमसब मिलकर इसे बचाएँ दीन दुखियों का साथ निभाएँ। आज आई है विपदा भारी मानवता का लेने परीक्षा, मानव…
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मानव धर्म-डॉ अनुपमा श्रीवास्तव
मानव धर्म कर सको तो कर दो बढ़कर है अगर तुझमें वो “दम” , पोछ दो “आंसू” किसी के हो ना उसकी आँखे “नम”। थाम लो “अपनों” की बाहें बांट…