मित्र मित्र वह जो मन की बात को पढ़ ले मित्र वह जो सारे जहां में एक अनमोल रिश्ता गढ़ ले मित्र वह जो हमारे सारे दोष को आईने की…
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मित्र-अर्चना गुप्ता
मित्र मँझधार में जब पड़ा हो जीवन दे पग-पग साथ रख निर्मल मन संबंध भले ही कोई ना उनसे पर बाँध रखे स्नेहिल सा बंधन हो यही एक मित्र समर्पण…