मॉं छोटे-छोटे कदमों से चलना तू हमें सिखलाती, खुद पीछे रहकर, आगे हमें बढ़ाती, जब मैं छोटी थी तब तू बिस्तर पर अकेली छोड़ जाती, तुझे आसपास न देखकर, मैं…
Tag: मॉं
मकर संक्रांति-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मकर संक्रांति उत्तरायणी पर्व का, हुआ सुखद आगाज। ढोल नगाड़े बज रहे, होंगे मंगल काज।। सूरज नित अभिराम है, जीवन का आधार। देव रूप पूजे सदा, सारा ही संसार।।…