छंद:-मनहरण घनाक्षरी ‘रवि’ सारे छोड़ काम, थोड़ी देर राम – राम, खाट छोड़ उठ जाएं, सूरज से पहले। शक्कर की चाशनी में, वाणी को लपेट कर, कई बार सोचें हम,…
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