शोर मचा – राम किशोर पाठक

शोर मचा- वासुदेव छंद गीत सुरभित है सब, कली-कली।शोर मचा अब, गली-गली।। आया मौसम, सर्दी का।पीते हैं पय, हल्दी का।।सर्द हवा जब, चली-चली।शोर मचा अब, गली-गली।।०१।। लगता मनहर, धूप खिला।फूलों…