समर्पण चाह नहीं कष्ट समर्पित, यही अर्पण हमारा। मैं निज काम आऊँ, दीन दुखियों एवं बेसहारा।। अबला को भी सम्मान समर्पित, पुत्र पुत्री में भेद न जाने। जग में समानता…
SHARE WITH US
Share Your Story on
स्वरचित कविता का प्रकाशन
Recent Post
- सर्द हवा-राम किशोर पाठक
- जमाने में – गजल – राम किशोर पाठक
- अनुराग सवैया – राम किशोर पाठक
- गिरीन्द्र मोहन झा
- जुआ-रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
- छंद रचना को गहूँ-राम किशोर पाठक
- That one of the Worst feelings- Ashish Kumar Pathak
- पशु अधिकार दिवस…नीतू रानी
- दोहा छंद…रामकिशोर पाठक
- शरण गहूँ दिन-रात – राम किशोर पाठक