सर्दी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

सर्दी चुपके-चुपके आती सर्दी, सबको बहुत सताती सर्दी। अमीरों को यह ख़ूब है भाती, गरीबों को यह बहुत सताती। आग की थोड़ी गर्मी पाकर, छिपकर दुम दबाती सर्दी। अमीरों को…