सोचो कैसे बच पाओगे-विजय सिंह नीलकण्ठ

सोचो कैसे बच पाओगे  हर ओर गंदगी फैली है  पर्यावरण हो गई मैली है  क्या करेगा पौधा बेचारा  गंदगी देख थककर हारा।  न जल की निकासी दिखे कहीं  घर के…