कहती रही अम्मा तुम हाथ साफ रखना, यह कहतीं रहीं अम्मा, स्नान ध्यान करना कहतीं रहीं अम्मा। अब आ गया जमाना हम भूल गए थे, वो सब बड़ी शिद्दत से…
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जख्मों को सहलाते रहिये-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
ज़ख्मों को सहलाते रहिये दिल की रीत निभाते रहिये, जख्मों को सहलाते रहिये। संकट में है पड़ी मानवता, मानव धर्म निभाते रहिये। जंग कठिन है रण है बाकी, अपना धर्म…
मेरे गुरु-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
मेरे गुरु वो हैं गुरु जो कुछ भी सिखाते हैं रात दिन, मेरे ही मन की प्यास बुझाते हैं रात दिन। सीखा है अगर कुछ भी कायनात ने कभी, वो…
जल-जीवन-स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
जल-जीवन जल की कहानी तुम्हे क्या सुनानी, नदी या नहर में समंदर नूरानी, खाने का पानी या पीने का पानी, नहाने सुहाने या जीने का पानी, पानी ही पानी है…
भारत के नवनिहाल-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
भारत के नवनिहाल भारत के नवनिहाल सुनो, गान देश का, रखना तुन्हें संभाल है, स्वाभिमान देश का। इस देश का मस्तक हमेशा, शान से रहे, रखना है दिलों जान से,…
गाँधी को गढ़ना होगा-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
गाँधी को गढ़ना होगा मानवता के मनोभाव को निर्मल से करने के लिए, मधुर जीवन के सरस भाव को अमृतमय करने के लिए, समभाव और सहजयोग में मानव को रचने…
मैं शिक्षक हूँ-स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मैं शिक्षक हूँ मैनें तो सूरज चाँद रचा, इस जीवन का सम्मान रचा, नव अंकुर नव कोपलों में, रच बस कर जीवन मान रचा। खुद जलकर तपकर सींच रहा, खुद…