प्रकृति-अर्चना गुप्ता

प्रकृति प्रकृति की प्रवृत्ति आदिकाल से ही निश्छल सहज और सौम्य रही है करती रही है चिरकाल से सबकी तृष्णाओं को तृप्त प्रवाहित होती रही है सदा स्थूल जगत में…

रक्षाबंधन-अर्चना गुप्ता

रक्षाबंधन  रक्षाबंधन का त्योहार पावन चिर स्नेहिल रक्षा का बंधन प्रीत से बँधी ये रेशम डोरी भाई को लागे अति सुहावन सावन का ये प्यारा मौसम भाई-बहन के प्रेम का…