राखी पावन सावन मास में आकर अनुपम स्नेह लुटाती राखी। भैया के हाथों में सजकर मन ही मन मुस्काती राखी।। रंग-बिरंगे फूलों जैसी प्रेम सुधा बढ़ाती राखी। हीरे, मोती,…
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सच्चा मित्र-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
सच्चा मित्र कौन है वो सच्चा मित्र इसे आज मैं सबको बताऊँ। अपने अन्तर्मन के भाव को सच्चे मन से खूब सजाऊँ।। सच्चा मित्र है वो जो एक दूजे का…
मानव जीवन-देव कांत मिश्र
मानव जीवन मानव जीवन बड़ा धन्य है इसे हम बताते चलें। अपने सत्कर्मों से नित इसे हम सजाते चलें।। देखो! बड़े भाग से मिला यह सुन्दर मानुष तन। अपने शुभ…