बालहठ माँ ! अब मैं छोटा बालक नहीं मैं तो कुछ कर के दिखलाऊँगा । तुम मुझे धनुष बना कर दे दो मैं सीमा पर लड़ने जाऊँगा । मैं भी…
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अत्याचार-प्रभात रमण
अत्याचार माता की ममता हार गई हारा पिता का प्यार है भाई का स्नेह भी हार गया बहन तो सर का भार है ये कैसा अत्याचार है ? जो घर…
बेटी-प्रभात रमण
बेटी बीजों को कोंपल बनने दो कलियों को तोड़ो मत तुम बेटी तो घर की लक्ष्मी है उससे मुँह मोड़ो मत तुम घर में चहकती रहती है कटुता भी हँस…
राखी-प्रभात रमण
राखी राखी का बंधन ना बंधे तो क्या राखी का त्योहार नही ? है जिस भाई की बहन नहीं क्या उसे है रक्षा का अधिकार नही ? पूछो उस भाई…
मित्र ऐसा हो-प्रभात रमण
मित्र ऐसा हो जीवन में एक मित्र कृष्ण जैसा चाहिए जो संग हो तो जीत निश्चित हो । और मित्र एक कर्ण भी तो चाहिए जो सदा साथ दे जब…
कैसे-प्रभात रमण
कैसे माँ भारती के दिव्य रूप को मैं दिवास्वप्न समझूँ कैसे ? इसके परम पूण्य प्रताप को मैं भला भूलूँ कैसे ? वीरों के शोणित धार को कैसे मैं नीर…