प्रकृति हो व्याकुल मन की; व्यथित क्षुधा तुम, अमृत तुल्य; नीर सुधा तुम।। हे प्रकृति रुपी; ममता मयी, तू सदा रहे कालजयी, तू गोद में लिए अपने खड़ी, हे प्रकृति…
Tag: Priyanka Priya
रोटी-प्रियंका प्रिया
रोटी इस दो जून की रोटी की खातिर नीयत करते सब खोटी, वाकई रोटी चीज नहीं छोटी।। क्या कहूँ इस पापी पेट के लिए क्या क्या सितम उठाना पड़ता है,…
उम्मीद का दामन थाम के-प्रियंका प्रिया
उम्मीद का दामन थाम के है हौसला जब तक हर काम करना है, उम्मीद का दामन मुझे यूं थाम चलना है।। इम्तिहान कैसी भी हो कोशिश से हर मुकाम चढ़ना…
दर्पण की अदाकारी-प्रियंका प्रिया
दर्पण की अदाकारी सोलह श्रृंगार कर जब दर्पण सम्मुख इतराते सब, सुन तारीफें खुद की मन ही मन इठलाते सब।। दूसरों के सामने झूठ बोलने से नहीं कोई कतराते जब,…