धमाचौकड़ी बच्चों के मन को हरसाई, चीं-चीं करती चिड़ियां आई। देख नजारा चिड़ियों का, चिंटू ने आवाज लगाई। सुन लो बहना सुन लो भाई , चीं-चीं करती चिड़ियां आई। शोर-शराबा…
Tag: Ruchi Sinha
विवसता-रुचि सिन्हा
विवशता प्रकृति ने गजब रौद्र रूप अपनाई है , एक तरफ है कुंआ तो दूसरी तरफ खाई है । हे ईश्वर ये तूने कैसी घड़ी लाई है । चहुँ ओर…
धरा-रुचि सिन्हा
धरा उठा तो पहले भी किया करती थी पर जागती तो अब हूँ । हर रोज देखा करती थी तेरी खूबसूरती हे! धरा पर निहारती तो तुझे अब हूँ। कई…