तितली रानी
तितली रानी तितली रानी
तितली रानी बड़ी सयानी,
बाग-बगीचे वन-उपवन में
धूम मचाती बनकर रानी।
सुन्दर-सुन्दर कोमल काया
रंग-बिरंगी पंखे वाली,
सबके मन को भाती तितली
जब उड़ती है डाली-डाली।
कभी अचानक से तितली रानी
जब कंधों पर आ बैठ जाती है,
उसकी ओर जरा हाथ बढ़ाओ
पंख फैला झट उड़ जाती है।
रिमझिम-रिमझिम बारिश में
चुपके से तुम छिप जाती हो,
कभी फूल पर कभी कली पर
पंख फैला मंद-मंद मुस्काती हो।
तितली मेरे बगिया में भी
कभी चुपके से तुम आ जाना,
मीठे-मीठे रस को पीकर
बच्चों जैसे मौज मनाना।
कहता कवि ‘नरेश निराला’
बच्चों मानो मेरा यह संदेश,
कही भी दिखे तितली रानी
मत पहुँचाओ उन्हें कोई क्लेश।
नरेश कुमार ‘निराला’
छातापुर सुपौल
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