टी.ओ.बी तेरा आभार
बस सीखा था हमने चलना
न थी मंजिल न आधार ,
“राह” दिखाया तुमने हमको
टी.ओ.बी तेरा आभार।
एक टुकड़ा कोरा कागज का
एक लेखनी थी मेरे पास,
टी.ओ.बी ने “स्याही” भर दी
मेरी रचना बन गई खास।
शब्द नहीं कि मैं लिख पाऊ
करू तेरा कैसे “गुणगान”,
मैं क्या मेरी “कलम” करेगी
टी.ओ.बी का अकथ बखान।
शुभकामना और अभिनन्दन
मिलकर हम करते हैं “बंदन”
टी.ओ.बी की हो “जयगान”
मिले उसे ऊँची पहचान।
“गाथा” तेरी हम लिखेंगे
पढ़ेगी दुनियां बारम्बार ,
सारे “गुरूजन” के संग तुमको
नमन करते हैं तुम्हें “टीचर्स ऑफ बिहार”
स्वरचित 🙏🙏
डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
+2 शिक्षिका जमालाबाद
मुजफ्फरपुर बिहार
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