उचित व्यवस्था है संविधान
देश का संविधान भारत के लोगों का है जरुरी विधान
इससे ही होता है हम भारतीयों के सभी जरुरी निदान।
जब अंग्रेजी सत्ता वापस हुई तब देश स्वतंत्र हुआ
फिर सन् उन्नीस सौ पचास में यह गणतंत्र हुआ।
संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर
करोड़ों दबे-कुचले लोगों का क्रमिक निदान कर।
इससे देश एक स्वतंत्र लोकतंत्रात्मक व्यवस्था पायी
भारत को गणराज्य की उचित व्यवस्था है दिलायी।
चार रुपों कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और
स्वतंत्र मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है कहलायी।
हर भारतीय को नाज़ है भारत के संविधान पर
इसके अंदर निहित वर्णित सभी प्रावधानों पर।
संविधान की “प्रस्तावना” है इसकी “आत्मा”
जैसे लगता है, यह हम सब की है “परमात्मा”।
लोकतंत्र का आधार है “भारत का संविधान”
इससे ही चलता है देश के सभी नियम-कानून।
संविधान निर्माता की दूरदृष्टि का है यह नाम
भारतीय लोगों की जरुरतों का है यह पूरा काम।
मूल अधिकार और कर्त्तव्य समानता सिखाता है
प्रकृति का हर सृजन का संरक्षण करना बतलाता है।
संविधान की शुरुआत होती है “हम भारत के लोग से”
जाति, धर्म और पंथ से उपर यह “जीयो और जीने दो”।
जैसी भावना सिखाता, बतलाता और समझाता है
वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को भी यह दर्शाता है।
है अभिव्यक्ति की आजादी भी इस संविधान में वर्णित
इससे हर दिन निखरता है और रहता है हमेशा चर्चित।
भारतीय राजव्यवस्था का है यह जरुरी कर्म रुपी ग्रंथ
सर्वधर्म समभाव का प्रतीक बतलाता मानव ग्रंथ।
भारतीय संविधान उन्नीस सौ उन्चास को अंगीकृत हुआ
इसके साथ आत्मार्पित और अधिनियमित भी यह हुआ।
देश का संविधान भारत के लोगों का है जरुरी विधान
इससे ही होता है हम भारतीयों के सभी जरुरी निदान।
सुरेश कुमार गौरव
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित